चुने गए भारतीय अध्येता
(01 जनवरी, 2014 से प्रभावी)
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उदय बंधोपाध्याय (जन्म : 19.01.1964), पीएच डी, वरिष्ठ वैज्ञानिक, संक्रामक रोग तथा रोगप्रतिरक्षा विज्ञान प्रभाग, सी एस आई आर-इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ केमिकल बायोलॉजी, 4, राजा एस सी मलिक रोड, जाधवपुर, कोलकाता-700 032
आपने आंत्र अल्सर के रोगविज्ञान में माइटोकोंड्रिया के कार्य के महत्व को प्रदर्शित किया है और आपके अध्ययन से मलेरिया परजीवी से संबंधित जीवविज्ञान को भी उल्लेखनीय योगदान प्राप्त हुआ है। |
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ओम नारायण भार्गव (जन्म : 15.02.1938), पीएच डी, सेवानिवृत्त निदेशक, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया,103, सेक्टर 7, पंचकूला-134 109
डॉ भार्गव ने शिमला, स्पीति और भूटान हिमालय के भू-विज्ञान की व्याख्या करने में अत्यधिक महत्वपूर्ण योगदान किया है। टेथन और लघु हिमालय दोनों क्षेत्रों में आपके योगदान को विश्वभर में मान्यता प्रदान की जाती है। आपके द्वारा अकेले ही तैयार किए गए भू-वैज्ञानिक आधार मानचित्रों से इन क्षेत्रों में सभी परवर्ती भू-वैज्ञानिक अन्वेषणों के लिए मंच प्राप्त हुआ है। हाल ही में हिमालय के ऊंचाई वाले सर्वाधिक कठिन भू-भाग में विस्तृत भू-क्षेत्र पर वर्ष 2013 में किए गए आपके कार्य से निचले पैलियोजोइक स्टेटिग्राफी को मजबूत आधार प्राप्त हुआ है। |
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सुधा भट्टाचार्य (जन्म : 07.3.1952), पीएच डी, प्राध्यापक, स्कूल ऑफ इनवायरनमेंटल साइंसेज, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली – 110 067
आपके अमीबा के आर एन ए जीवविज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान किया है। |
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इंद्रनील बिश्वास (जन्म : 19.10.1964), पीएच डी, प्राध्यापक (एच), टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, होमी भाभा रोड, नवी नगर, कोलाबा, मुंबई – 400 005
प्रोफेसर इंद्रनील बिश्वास बीजगणित-ज्यामिति के एक उत्कृष्ट विद्वान हैं तथा विश्वभर में वेक्टर बंडल कम्पलेक्स ज्यामिति, अवकल ज्यामिति और टॉपोलॉजी के लिए विख्यात हैं। आपने भारत तथा विदेश के अनेक गणितज्ञों के साथ सहयोगात्मक कार्यों को अपना मार्गदर्शन प्रदान किया है। आप एक जाने-माने गणितज्ञ हैं तथा आपने अनेक उल्लेखनीय योगदान किए हैं उदाहरण के लिए आपने एक परिमित समूह द्वारा किसी स्थान पर ऑर्बिफोल्ड बंडलों तथा लब्धि (quotient) पर परवलयाकार बंडलों के बीच एक परिशुद्ध संबंध स्थापित किया है। अपने हाल के कार्यों में आपने यादृच्छिक अभिलक्षण में प्रधान बंडलों के गुणांक का एक पूर्ण विवरण प्रस्तुत किया है (हॉपमैन के साथ सहयोग स्थापित करके)। |
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राजेंद्र प्रसाद छाबड़ा (जन्म : 03.01.1953), पीएच डी, प्राध्यापक, रासायनिक अभियांत्रिकी विभाग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर, कानपुर – 208 016
आपको यह अध्येतावृत्ति अरैखिक तरल गुणों तथा प्रवाह की द्रवगतिकी एवं संवहन प्रक्रमों के संबंध में भूमिका को स्पष्ट करने तथा न्यूटन प्रवाह का पालन न होने से संबंधित समस्याओं के संबंध में मानक निर्धारित करने के लिए किए गए अग्रणी कार्य के लिए प्रदान की गई। |
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देबज्योति चौधुरी (जन्म : 18.08.1964), पीएच डी, दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली-110 007
आपको यह अध्येतावृत्ति अति सममिति तथा मानक प्रतिकृति से आगे की स्थितियों का अन्वेषण करने के लिए टॉप तथा हिग्स भौतिकी के प्रयोग से संबंधित प्रमुख कार्य के लिए प्रदान की गई। इनमें से विशेष रूप से उल्लेखनीय कार्य हैं : निम्न ऊर्जायुक्त कण भौतिकी का प्रयोग करके अप्रकाशित पदार्थ की खोज हेतु कलन विधि, स्केल इनवैरिएंस की खोज के लिए परमाणु भौतिकी के प्ररूप विकास हेतु प्रयोग और साथ ही अनुप्रयोग। |
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प्रदीप दास (जन्म : 03.08.1956), पीएच डी, निदेशक, राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, अगम कुआं, पटना – 800 007, बिहार।
डॉ दास ने पोषी-परजीवी अंत:क्रिया और विशेषकर लिश्मानिया डोनोवेनाई एवं एंटअमीबा हिस्टोलिका संक्रमणों के मामले में आण्विक तंत्र के संबंध में हमारी जानकारी में वृद्धि करने में उल्लेखनीय योगदान किया है। इसके अतिरिक्त, आप बिहार राज्य में कालाजार के उन्मूलन में सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं। |
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इंद्रनील दासगुप्ता (जन्म : 28.01.1958), पीएच डी, प्राध्यापक, पादप आण्विक जीवविज्ञान विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय, दक्षिणी परिसर, बेनितो जुआरेज मार्ग, नई दिल्ली – 110021
प्रोफेसर इंद्रनील दासगुप्ता पादप विषाणु अंत:क्रिया के क्षेत्र में उत्कृष्ट अनुभव रखते हैं। आपने भारत में पादप-विषाणु विषय में अनुसंधान कार्यों को अत्यधिक ऊंचाई प्रदान की है। आपने अनेक अद्वितीय प्रोत्साहक तथा अभिव्यक्त अवयवों की पहचान की है जो फसलों को अनेक भयावह पादप-विषाणुओं से संरक्षण प्रदान करने के लिए आण्विक कार्यनीतियों को विकसित करने में सहायक सिद्ध हुआ है। |
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स्वपन कुमार दत्ता (जन्म : 28.01.1953), पीएच डी, उप-महानिदेशक (फसल-विज्ञान), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, कृषि भवन, नई दिल्ली – 110 001
डॉ दत्ता ने फसल जैवप्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान किया है। मार्करमुक्त बी टी चावल, शीथ ब्लाइट, स्टेम बोरर और जीवाण्विक अंगमारी के प्रति सहनशील कृषि दृष्टि से महत्वपूर्ण अभिलक्षणों वाले पायरामिडिन जीनों को विकसित करने के संबंध में आपके कार्य को अत्यधिक सराहना प्राप्त हुई है। अजैव प्रतिबल के प्रति सहनशीलतायुक्त गुणों वाले पारजीनीय चावल की किस्मों को विकसित करने के संबंध में आपके द्वारा हाल ही में किया गया कार्य भी समान रूप से महत्वपूर्ण है। |
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अनुराधा दूबे (जन्म : 27.11.1955), पीएच डी, मुख्य वैज्ञानिक, परजीवी विज्ञान प्रभाग, केंद्रीय औषध अनुसंधान संस्थान (नया परिसर), बी एस 10/1, सेक्टर 10, जानकीपुरम विस्तार, सीतापुर रोड, लखनऊ – 226 021
आपको यह अध्येतावृत्ति पूर्व नैदानिक परीक्षणों के लिए मानवेतर प्राइमेट प्रतिकृति निर्धारित करने हेतु प्रोटीन टीका लक्ष्य के रूप में लिश्मानिया प्रोटीनों की पहचान करने के लिए तथा प्राकृतिक संसाधनों से दो सक्षम लिश्मानियारोधी यौगिकों की खोज करने के लिए प्रदान की गई है। |
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चिलाकलापुडी दुर्गा राव (जन्म : 05.12.1950), पीएच डी, प्राध्यापक, सूक्ष्मजीव विज्ञान तथा कोशिका जीवविज्ञान विभाग, एस बी 04, नया जीवविज्ञान भवन, भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलूरु – 560 012
आपने बच्चों में प्रमुख रोगग्रस्तता तथा उच्च मृत्यु दर के स्रोत रोटा वायरस और ऐन्टेरोवायर के आण्विक जीवविज्ञान, आण्विक जानपदिक रोगवज्ञिान तथा नैदानिक रोगविज्ञान को समझने की दिशा में प्रमुख वैज्ञानिक योगदान किया है। उल्लेखनीय तथ्य यह है कि आपके द्वारा किए गए अनुसंधान कार्यों के फलस्वरूप इन कारकों में से प्रत्येक के लिए टीकों तथा नैदानिकी प्रक्रियाओं को विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान प्राप्त हुआ है। |
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अश्विनी घोष (जन्म : 01.12.1953), पीएच डी, वरिष्ठ प्राध्यापक तथा प्रमुख, ठोसावस्था भौतिकी विभाग, इंडियन एसोसिएशन फॉर दॅ कल्टीवेशन ऑफ साइंस, जाधवपुर, कोलकाता – 700 032
आपको यह अध्येतावृत्ति सामान्य रूप से कॉंच तथा नैनो कम्पोजिटों की संरचना, गतिकी और इसमें होने वाले प्रसरण के संबंध में और विशेषकर कॉंच में प्रसरण स्पेक्ट्रम या चार्ज कैमर गतिकी के मापन के संबंध में किए गए कार्य के लिए प्रदान की गई है। |
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राजेश सुधीर गोखले (जन्म : 16.01.1967), पीएच डी, निदेशक, सी एस आई आर-इंस्टिट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी, माल रोड, जुबली हाल के निकट, दिल्ली – 110 007
आपने माइकोबैक्टिरियम ट्यूबरकुलोसिस के जटिल कोशिका पृष्ठीय आवरण के निर्माण में निहित जैवसंश्लिष्ट तंत्र को समझने के लिए बहु-विषयी दृष्टिकोण का प्रयोग किया है और इस दिशा में उत्कृष्ट योगदान किया है। |
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मुनीश्वर नाथ गुप्ता (जन्म : 25.06.1948), पीएच डी, प्राध्यापक, रसायन विभाग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली, हौज खास, नई दिल्ली – 110016
बड़े पैमाने पर प्रोटीन के पृथक्करण, प्रोटीन के रिफोल्डिंग तथा एंजाइम स्थिरीकरण हेतु नई तकनीक विकसित करने के लिए। |
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नरनामंगलम रघुनाथन जगन्नाथन (जन्म : 23.06.1954), पीएच डी, प्राध्यापक और प्रमुख, एन एम आर और एम आर आई सुविधा विभाग, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, अंसारी नगर, नई दिल्ली - 110 029
डॉ जगन्नाथन सामान्य तथा रोगग्रस्त ऊतकों के बीच के उपापचयी अंतर को शीघ्र ज्ञात करने के क्षेत्र में अग्रणी स्थान रखते हैं। रासायनिक उपचार किए जाने पर स्थानीय स्तर पर उन्नत अवस्था में स्थित स्तन कैंसर की कोशिकाओं के फॉस्फोकोलिन स्तर में शीघ्र परिवर्तन को सुनिश्चित रूप से प्रदर्शित करने के लिए एम आर एस का प्रयोग आपके द्वारा किया गया सबसे बड़ा योगदान है। आपने यह दर्शाया कि एम आर एस कैंसरग्रस्त कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए रासायनिक उपचार (कीमोथेरेपी) के लिए एक आरंभिक मार्कर की भूमिका निभा सकता है। |
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प्रेमाशीष कार (जन्म : 20.10.1950), एम डी, डी एम, पीएच डी, निदेशक, प्रोफेसर ऑफ मेडिसिन, कमरा नंबर 127, बी एल तनेजा ब्लॉक, डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली – 110 002
भारत में गर्भवती महिलाओं के मामले में गंभीर यकृत विफलता और यहां तक कि रोगी के मृत्यु का शिकार हो जाने के प्रमुख कारण हैपेटाइटिस ई विषाणु द्वारा उत्पन्न किए जाने वाले गंभीर यकृत रोग के रोगजनन के संबंध में हमारी जानकारी को उन्नत बनाने में डॉ कार की अत्यधिक उल्लेखनीय भूमिका है। आपने गर्भवती महिलाओं में गंभीर यकृत विफलता के कोशिकीय संकेतों का भी वर्णन किया है। |
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दुर्गादास प्रभाकर कसाबेकर (जन्म : 18.07.1956), पीएच डी, हल्देन पीठ, डी एन ए फिंगरप्रिंटिंग तथा नैदानिकी केंद्र, बिल्डिंग 7, गृहकल्प, 5-4, 399/बी, नामपल्ली, हैदराबाद – 500 001
आपने न्यूरोस्पोरा की माइटोटिक और मायोटिक कोशिकाओं में जीनोम के डुप्लीकेशन और डी एन ए तत्वों पर आक्रमण करने से जीनोम प्रतिरक्षा तंत्र के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान किया है। आपके द्वारा किए गए उल्लेखनीय क्रियाकलापों की वैज्ञानिक समुदाय द्वारा अत्यधिक सराहना की गई है। |
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अंजन कुंडू (जन्म : 24.01.1953), पीएच डी, साहा इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स, 1/एफ, बिधान नगर, कोलकाता – 700 064
अपने नाम से प्रतिकृतियों तथा समीकरणों को स्थापित करके वैज्ञानिक साहित्य में पहले से मान्यताप्राप्त इंटीग्रेबल प्रणाली सिद्धांत के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए। |
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मानपल्ली लक्ष्मी कांतम (जन्म : 04.03.1955), पीएच डी, मुख्य वैज्ञानिक तथा प्रमुख (वैज्ञानिक 'जी'), अकार्बनिक तथा भौतिक रसायन प्रभाग, भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान, हैदराबाद – 500 607
डॉ लक्ष्मी कांतम ने उच्च परमाणु इकोनमी को प्राप्त करने के लिए रासायनिक अभिक्रियाओं हेतु समांग/असमांग उत्प्रेरकों को विकसित करने की दिशा में उल्लेखनीय योगदान किया है। असममित उत्प्रेरण एवं C-C/C-N युग्मन अभिक्रियाओं के संबंध में आपके कार्य औद्योगिक क्षेत्र में प्रयोग में लाए जाने के लिए उपयोगी हैं। |
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गिरिधर मद्रास (जन्म : 20.09.1967), पीएच डी, प्राध्यापक, रासायनिक अभियांत्रिकी विभाग, भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलूरु – 560 012
जैव रिफ्रैक्टरी यौगिकों के बीच उत्प्रेरणी अभिक्रियाओं तथा उनकी गतिकी के निम्नीकरण और साथ ही अनेक नए अभियांत्रिकीय प्रक्रमों हेतु अंतर्निहित आधारभूत विज्ञान की व्याख्या करने के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए। |
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देबाशीष मित्रा (जन्म : 23.06.1960), पीएच डी, वैज्ञानिक 'जी', नेशनल सेंटर फॉर सेल साइंस, पुणे यूनिवर्सिटी कैम्पस, गणेशखिंड, पुणे- 411 007
आपने एच आई वी संक्रमण के दौरान पोषी-रोगजनक के बीच अंत:क्रिया तथा एच आई वी जीन अभिव्यक्ति तथा अनुकृति निर्माण में इसके प्रोटीनों टी ए टी और एन ई एफ के संबंध में जानकारी विकसित करने में योगदान किया है। आपने विषाणु-रोधी तथा सूक्ष्मजीव नाशकों की पहचान करने के संबंध में भी अपना योगदान दिया है। |
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बुधराजू श्रीनिवास मूर्ति (जन्म : 13.02.1964), पीएच डी, प्राध्यापक, धातुकर्म तथा पदार्थ अभियांत्रिकी विभाग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास, चेन्नै – 600 026
यांत्रिक धातु मिश्रण द्वारा उन्नत पदार्थों के संश्लेषण और कॉंच के निर्माण में नैनोक्रिस्टीकरण एवं ताप गतिकी को समझने के संबंध में आपके योगदान के लिए। |
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चंद्रशेखर नौटियाल (जन्म : 25.05.1956), पीएच डी, निदेशक, सी एस आई आर-राष्ट्रीय वनस्पति-विज्ञान अनुसंधान संस्थान, राणा प्रताप मार्ग, पोस्ट बॉक्स नंबर 436, लखनऊ – 226 001
डॉ नौटियाल ने पौधों में वृद्धि एवं विकास को संवर्धन प्रदान करने वाले सूक्ष्म जीवाणुओं के विलगन तथा अभिलक्षण निर्धारण, जड़ों पर उनके अधिमानी निवह-निर्माण तथा मृदावाहित रोगों, सूखा तथा उच्च ताप प्रतिबल से सहनशीलता हेतु जीनों को प्रयोग में लाने के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान किया है। आपके द्वारा किए गए कार्यों से उत्पादन में वृद्धि करने, मृदा स्वास्थ्य में सुधार लाने तथा धारणीय पारिस्थितिकी को विकसित करने के लिए जैव टीकों (बायोइनऑक्युलैंट्स) को विकसित किया जा सका है। |
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मलयन पालानियान्दावर (जन्म : 05.06.1951), पीएच डी, प्राध्यापक, रसायन विज्ञान विभाग, स्कूल ऑफ ऐप्लाइड एंड बेसिक साइंसेज, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ तमिलनाडु (सी यू टी एन), तिरुवरूर – 610 004
पालानियान्दावर ने मेटालोएंजाइम, गैलेक्टोज ऑक्सिडेज, मिथेन नॉन ऑक्सिजिनेज और कैटकोल डायोऑक्सिजिनेक के संरचनात्मक तथा कार्यात्मक प्रतिकृतियों पर विशेष बल देते हुए संश्लिष्ट जैव अकार्बनिक रसायन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान किया है। आपने धातु-डी एन ए अंत:क्रिया के संबंध में अनुसंधान कार्यों में भी अग्रणी भूमिका निभाई है जिसके कारण धातु का प्रयोग करके निर्मित की गई कैंसर-रोधी औषधियों को तैयार किया जा सका है। |
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दीपक कुमार पालिथ (जन्म : 02.01.1957), पीएच डी, वैज्ञानिक अधिकारी (एच-पी आर) तथा प्रमुख, अल्ट्राफास्ट एड डिसचार्ज केमिस्ट्री सेक्शन, विकिरण तथा प्रकाश रसायन विज्ञान प्रभाग, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई – 400 085
रासायनिक प्रणालियों में उच्च ऊर्जा विकिरण एवं प्रकाश प्रेरित आण्विक प्रक्रमों में अत्यधिक शीघ्र होने वाली घटनाओं के सूक्ष्मदर्शी से ज्ञात ब्योरों को वियोजित करके अति तीव्र स्पेक्ट्रोस्कॉपी और रासायनिक अभिक्रिया गतिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए। आपने भारत में सबसे पहली बार फेम्टो सेकंड पम्प – प्रोब फैसिलिटी को भी स्थापित किया है। |
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मोहम्मद अय्यूब कादरी (जन्म : 30.12.1960), पीएच डी, स्टाफ साइंटिस्ट VI, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ इम्युनोलॉजी, अरुणा आसफ अली मार्ग, जे एन यू परिसर, नई दिल्ली – 110 067
आपने साल्मोनेला टाइफि तथा नॉन-टाइफॉयडल एस टाइफिमुरियम के रोगजनन के संबंध में जानकारी उपलब्ध कराने में उल्लेखनीय योगदान किया है। निषेध प्रोटीन तथा क्षेत्रीय स्तर पर रोगप्रतिरोध को विनियमित करके चिकित्सा आधारित रोगप्रतिरोध अवमंदन के क्षेत्र में की गई खोज एक लीक से हटकर की गई खोज मानी जाती है। |
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जयकुमार राधाकृष्णन (जन्म : 30.05.1964), पीएच डी, डीन, स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी एंड कंप्यूटर साइंस, टी आई एफ आर, होमी भाभा रोड, मुंबई – 400 005
प्रोफेसर राधाकृष्णन भारत के एक सर्वाधिक सैद्धांतिक कंप्यूटर वैज्ञानिक हैं जिन्होंने उत्कृष्ट स्तर की उपलब्धि प्राप्त की है। अभिकलनात्मक जटिलता को कम कर पाना आपकी सबसे बड़ी उपलब्धि है, जो इस सिद्धांत का सबसे कठोर भाग है। आप सशक्त तर्कों को प्रस्तुत करने के लिए जाने जाते हैं तथा अन्य विशेषज्ञों द्वारा भी आपसे सहायता प्राप्त की जाती है। समस्याओं : ग्राफ ऐल्गोरिथम, कोडिंग, क्वांटम अभिकलन, क्वांटम सूचना, संचार जटिलता जैसी समस्याओं के चयन में आप अत्यधिक लचीला दृष्टिकोण अपनाते रहे हैं। आपके द्वारा सूचना सैद्धांतिक उपकरणों का प्रभावी प्रयोग सैद्धांतिक कंप्यूटर विज्ञान समुदाय में अधिक प्रचलित नहीं हुआ है। |
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देब शंकर रे (जन्म : 02.01.1954), पीएच डी, वरिष्ठ प्राध्यापक, डिपार्टमेंट ऑफ फिजिकल केमिस्ट्री, इंडियन एसोसिएशन फॉर दॅ कल्टीवेशन ऑफ साइंस (आई ए सी एस), 2ए और 2बी, राजा एस सी मलिक रोड, जाधवपुर, कोलकाता – 700 032
रासायनिक अभिक्रिया गतिकी, अणुओं में कंपन-विप्रावस्थाकरण सिद्धांत, काल आश्रित अभिक्रियाशील फलक्स निर्माण, क्वांटम ब्राउनियन गति और अरैखिक रासायनिक गतिकी में अस्थायित्व दशा के क्षेत्र में आपके द्वारा किए गए उत्कृष्ट योगदान के लिए। |
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श्यामल राय (जन्म : 13.01.1954), पीएच डी, वैज्ञानिक 'जी' (मुख्य वैज्ञानिक), इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ केमिकल बायोलॉजी, 4, राजा एस सी मलिक रोड, जाधवपुर, कोलकाता - 700 032
डॉ श्यामल राय ने लिश्मानिया से संक्रमण में कोलेस्ट्रोल की भूमिका को प्रदर्शित करते हुए लिश्मानिया अनुसंधान के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान किया है तथा इससे संबंधित विस्तृत तंत्र की व्याख्या की है। |
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मुनिवेंकटप्पा संजप्पा (जन्म : 01.01.1951), पीएच डी, बोटैनिकल गार्डन, यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज, जी के वी के, बैंगलूरु – 560 065
देशभर में वनस्पतियों की खोज तथा अनेक किस्मों की वनस्पतियों के वर्गीकरण में संशोधन करके भारत की समृद्ध जैव-विविधता का सामान्य रूप में तथा फलीदार पौधों (लैग्यूमों) के संबंध में विशेष रूप से प्रलेख तैयार करने में उल्लेखनीय योगदान के लिए। आपके द्वारा किए गए कार्य से वनस्पति विज्ञान में 27 नई वनस्पतियां शामिल की गई हैं तथा 1152 प्रजातियों को शामिल करके भारतीय फलीदार पौधों के संबंध में आपके द्वारा तैयार किया गया चेक लिस्ट दक्षिणी एशिया के लिए अंतर्राष्ट्रीय फलीदार पौधों के संबंध में डेटाबेस का कार्य करता है। |
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एकलव्य शर्मा (जन्म : 11.05.1958), पीएच डी, निदेशक, प्रोग्राम ऑपरेशंस, इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डवेलपमेंट (आई सी आई एम ओ डी), जी पी ओ बॉक्स नंबर 3226, खूमलतर, ललितपुर, काठमांडू, नेपाल।
डॉ शर्मा ने पारिस्थितिकी तंत्र में नाइट्रोजन यौगिकीकरण तथा फॉस्फोरस सॉल्यूबिलाइजेशन पर विशेष ध्यान देते हुए पर्वतीय पारिस्थितिकी, सीमापार संसाधन (विशेषकर जैव-विविधता) प्रबंधन और जैव भू-रासायनिक चक्र के संबंध में अग्रणी अनुसंधान कार्य किया है। आप पर्वतीय प्रजातियों में पेड़ों द्वारा नाइट्रोजन के यौगिकीकरण तथा कार्बन गतिकी के पारिस्थितिकी पहलुओं के संबंध में विशेषज्ञता रखते हैं। |
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भीम सिंह (जन्म : 01.01.1956), पीएच डी, प्राध्यापक, वैद्युत अभियांत्रिकी विभाग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली, हौजखास, नई दिल्ली – 110 016
आपने ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युतीकरण तथा नवीकरणीय ऊर्जा को प्रयोग में लाने के संबंध में उल्लेखनीय प्रभाव डालते हुए सक्रिय विद्युत फिल्टरों और विद्युत गुणवत्ता सुधार के क्षेत्र में अग्रणी कार्य किया है। |
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राजीव कुमार वार्ष्णेय (जन्म : 13.07.1973), पीएच डी, प्रधान वैज्ञानिक (अनुप्रयुक्त जीनोमिक्स), थीम लीडर, सी जी आई ए आर, जनरेशन चैलेंज प्रोग्राम (जी सी पी) तथा निदेशक, सेंटर ऑफ एक्सेलैंस इन जीनोमिक्स (सी ई जी), बिल्डिंग संख्या 300, इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टिट्यूट फॉर दॅ सेमि-एरिड ट्रॉपिक्स (आई सी आर आई एस ए टी), पटान्चेरु-502324, ग्रेटर हैदराबाद।
डॉ वार्ष्णेय ने फलीदार पौधों के जीनोमिक्स के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किया है। आपने अरहर तथा काबुली चना के जीनोम सीक्वेंसिंग, फलीदार पौधों की अनेक प्रजातियों के संबंध में आण्विक मार्करों तथा उच्च सघनता वाले आण्विक मानचित्रों को तैयार करने में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आपने मार्कर की सहायता से किए गए चयन की विधि का प्रयोग करके काबुली चना और अरहर के जैव तथा अजैव प्रतिबल के विरुद्ध सहनशील जीनोटाइपों को विकसित करने में भी योगदान किया है। |
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उमेश वासुदेव वाघमारे (जन्म : 19.09.1968), पीएच डी, जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च, थ्योरेटिकल साइंसेज यूनिट, पोस्ट ऑफिस जाकुर, बैंगलूरु-560064
पदार्थों और विशेषकर सीसामुक्त फेरोइलेक्ट्रिक्स के प्रधान क्वांटम यांत्रिकी विवरण को ज्ञात करने के लिए तथा ग्रैफीन में कुछ प्रकार की त्रुटियों को ज्ञात करने के लिए। |
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